Friday, August 29, 2008

विदेशों में भी पसरने लगी माया की माया

माया की माया को देश ही नहीं विश्व में भी लोकप्रियता मिलती नजर आ रही है। मायावती जहां सोनिया गांधी से बैर लेकर देश की पहली दलित महिला प्रधानमंत्री बनने के सपने पाले बैठी हैं, वहीं फोब्स की सूची में उनका नाम आने से उनके हौसले बढ़े हैं। मायावती को फॊर्ब्स पत्रिका ने विश्व की 100 ताकतवर महिलाओं में शामिल किया है। खास बात यह है कि सोनिया गांधी की रेटिंग में गिरावट दर्ज की गई है। छठवें स्थान से फिसलकर वे 21वें स्थान पर पहुंच गई है। मायावती को पत्रिका ने 59वें पायदान पर रखा है।

मायावती की इस उपलब्धि के पीछे उनके राजनीतिक कौशल और सोशल इंजीनियरिंग को माना जा रहा है। पत्रिका ने माया के वैक्तित्व का बखान करते हुए लिखा है कि उन्होंने देश की सबसे ताकतवर महिला सोनिया गांधी की सत्ता को हिलाने और उनकी पोजिशन को चुनौती दी है। मायावती ने हाल ही में लोकसभा में विश्वासमत के दौरान कांग्रेस के नाक में दम कर दिया था। सभी राजनीतिक दलों ने आस लगाई थी कि सबसे ज्यादा सांसद अगर किसी पार्टी के टूटेंगे तो वह बसपा के होंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बल्कि मायावती ने उलटे सपा के शहिद सिद्धकी को अपने पाले में जरूर कर लिया। इससे पहले कांग्रेस के अखिलेश दास और नरेश अग्रवाल भी पार्टी में आ चुके हैं।

जानकारों का मानना है कि मायावती का कद अचानक नहीं बढ़ा है। इसके पीछे एक रणनीति थी जो लगातार काम कर रही थी। चाहे वह कांशीराम के समय हो या फिर मायावती के समय। बसपा ने अपने पहले चरण में दलितों को यह बताने की कोशिश की कि वे भी समाज में उसी तरह जीने के हकदार हैं जितने अन्य लोग। इसका परिणाम यह रहा कि मायावती को देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने का मौका मिला। उस समय मायावती की उम्र महज 39 वर्ष थी। दलित वोटरों ने मायावती को पहली दलित महिला मुख्यमंत्री तो बना दिया लेकिन वे ज्यादा समय तक काम नहीं कर पाईं और सरकार गिर गई। इस समय मायावती और उनकी बसपा ने सवर्णो को जमकर गरियाया। तिलक, तराजू और तलवार इनको मारो जुते चार का नारा दिया गया।

अगले चरण में मायावती और बसपा को यह समझ में आने लगा की बराबरी के बाद सत्ता को स्थिर रखने के लिए सवर्णो को साथ लेना होगा। राजनीति में माहिर माया ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला तय किया। सवर्ण जो लंबे समय से दलित और मुसलिम तुष्टिकरण के कारण हासिए पर जा रहे थे, उन्होंने झट मायावती का दमन थाम लिया। माया ने इस बार उनको बराबरी का सम्मान देने की बात कही। उत्तर प्रदेश में अपने दम पर सरकार बनाकर दलितों और सवर्णो ने मायावती को यह बता दिया कि इस समीकरण का देश में कोई काट नहीं है।

अब फॊर्ब्स पत्रिका ने भी मायावती को टाप 100 लेकर उनके हौंसले को और बुलंद किया है। उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य भागों में उनके समर्थकों में जोरदार उत्साह का माहौल है। पहले से ही जोश से लबरेज माया को मिले इस टानिक का अन्य राजनीतिक दल किस प्रकार काट खोजते हैं यह आने वाले समय में देखने को मिलेगा।

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