Saturday, July 12, 2008

विश्वास मत से पहले 'सीबीआई की कार्रवाई क्यों'

बहुजन समाजवादी पार्टी की नेता और उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का आरोप है कि केंद्र सरकार सीबीआई का दुरुपयोग करके उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक साज़िश कर रही है.

शुक्रवार को केंद्रीय जाँच एजेंसी सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए उसके पास 'पर्याप्त' सबूत है.

मायावती ने शनिवार को दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा कहा कि ये महत्वपूर्ण है कि पाँच साल से अदालत में चले आ रहे इस मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने बहुजन समाज पार्टी के केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ये कदम उठाया है.

उनका ये भी आरोप था कि लोकसभा में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के विश्वास मत से पहले सीबीआई ने अपने शपथ पत्र की जानकारी मीडिया में 'लीक' की है जबकि उन्हें या उनके वकील को इस बारे में जानकारी अब तक नहीं मिली है.

उनका कहना था कि सीबीआई के उठाए क़दमों का संबंध यूपीए के विश्वासमत हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी के साथ हुए समझौते से है.
उन्होंने आरोप लगाया कि हर चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टियाँ चाहे वह कांग्रेस हो या भाजपा बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्व के ख़िलाफ़ सत्ता का दुरुपयोग करती हैं.
ग़ौरतलब है कि मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले को ख़ारिज करने की अपील की थी और इसी अपील की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जवाब देने को कहा था.

बसपा निशाने पर क्यों?

कांग्रेस और भाजपा जैसी यथास्थितिवादी पार्टियों की ताक़त कम होती जा रही है इसलिए अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए वे संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करती हैं

दिल्ली में उन्होंने कहा कि ये पार्टियाँ (कांग्रेस-भाजपा) न केवल सत्ता का दुरुपयोग करती हैं बल्कि संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए संवैधानिक संस्थाओं का भी दुरुपयोग करती हैं.

उन्होंने कहा, "बहुजन समाज पार्टी इसलिए निशाने पर रहती है ताकि उसका मानवता का आंदोलन, सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय आंदोलन आगे न बढ़ने पाए."
उनका कहना था, "कांग्रेस और भाजपा जैसी यथास्थितिवादी पार्टियों की ताक़त कम होती जा रही है इसलिए अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए वे संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करती हैं."

उनका कहना था कि सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जो शपथ पत्र दाखिल किया है उससे जनता के बीच एक भ्रांति फैल रही है और इसलिए उन्होंने मीडिया के माध्यम से अपनी बात रखनी पड़ रही है. उनका कहना कि अन्यथा सर्वोच्च न्यायालय में मामला लंबित होते हुए वे इस तरह से पत्रवार्ता नहीं करतीं.

समाजवादी पार्टी की शर्त?

अपनी पत्रवार्ता में मायावती ने कई सवाल उठाए. एक तो उन्होंने कहा कि जब सीबीआई के पास जबाव दाख़िल करने के लिए दस दिनों का समय बचा था तो क्यों दस दिन पहले जवाब दाख़िल किया गया. कहने को तो सीबीआई देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी है लेकिन वह केंद्र के मुलाज़िम की तरह कार्य करती है

उनका आरोप है कि विश्वासमत को देखते हुए ऐसा किया गया है वरना तो यह मामला सीबीआई के पास पाँच सालों से है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जवाब की प्रति मीडिया को तो एक दिन पहले उपलब्ध करवा दी लेकिन बसपा के पास यह जवाब अभी तक नहीँ आया है.

मायावती ने आरोप लगाया, "कहने को तो सीबीआई देश की सर्वोच्च जाँच एजेंसी है लेकिन वह केंद्र के मुलाज़िम की तरह कार्य करती है." उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी ने यूपीए सरकार को समर्थन देने की शर्त रखी है कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. बसपा नेता ने एक अख़बार की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि समाजवादी पार्टी सीबीआई में अपना डायरेक्टर नियुक्त करवाना चाहती है.
बीबीसी से सभार

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