इस फ़िल्म का मुहूर्त 15 जनवरी 2007 को ही हो गया है लेकिन 'बहनजी' का आदेश न मिलने की वजह से फ़िल्म अब तक शुरू नहीं हो पाई है. लेकिन फ़िल्म की शूटिंग शुरू करने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव तक रुकने के लिए कहा था
निर्देशक कैलाश मासूम कहते हैं, "15 जनवरी को मायावतीजी का जन्मदिन आता है इसलिए मेरी इस फ़िल्म के मुहूर्त के लिए इससे अच्छा दिन क्या हो सकता था. लेकिन फ़िल्म की शूटिंग शुरू करने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव तक रुकने के लिए कहा था. मेरी इस फ़िल्म के लिए उन्होंने अपना आशीर्वाद देने के साथ पूरा सहयोग करने का वादा किया है."
दो से ढाई करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली इस फ़िल्म की शूटिंग गाज़ियाबाद के बादलपुर गाँव, लखनऊ, आगरा, दिल्ली और मुंबई में होगी.
इस फ़िल्म के निर्देशक कैलाश मासूम ख़ुद भी दलित हैं लेकिन वे कहते हैं कि उनका बहुजन समाज पार्टी से कोई ताल्लुक़ नहीं है, वे बचपन से ही मायावती से प्रभावित रहे हैं.
वे कहते हैं, "मैं बहनजी के गाँव (बादलपुर) के पास दयानतपुर का ही रहने वाला हूँ और मैंने उनकी कठिनाइयों को नज़दीक से देखा है. यह फ़िल्म मायावतीजी की दास्तान है. मैंने पूरी तरह से सच्चाई दिखाने की कोशिश की है. दलितों को बहनजी ने जिस तरह से ऊपर पहुँचाया है वह लोगों तक पहुँचनी चाहिए और इसके लिए उनके संघर्षपूर्ण जीवन को भी जानना ज़रूरी है".
मासूम के अनुसार, जिस तरह से मायावतीजी ने अंबेडकर के सपने को साकार किया और दलितों को प्रताड़ना से मुक्त कराया है उससे सारी दुनिया उनसे प्रभावित हुई है.
क्या इस फ़िल्म में मायावती के ऊपर लगे आरोपों और विवादों को भी दिखाया जाएगा, यह पूछे जाने पर कैलाश मासूम कहते हैं, "इस फ़िल्म का उद्देश्य मायावतीजी के संघर्ष की कहानी को जनता तक पहुँचाना है."
जब मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी तभी से मासूम ने उनके ऊपर फ़िल्म बनाने का मन बना लिया था.
फ़िल्म के अन्य किरदारों के लिए कई नाम चर्चा में हैं. जिनमें राजा भइया के किरदार के लिए जैकी श्रॉफ और कांशीराम के किरदार के लिए आलोकनाथ को लेने की बात चल रही है.
प्रतिमा कन्नन को मुख्य किरदार में लेने को लेकर वे कहते हैं, "मुझे उनके अंदर बहनजी की झलक दिखाई दी और जब मैंने उनसे पहली बार बात की तो उनकी आवाज़ सुनकर मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो गया कि बहनजी के किरदार के लिए प्रतिमा से अच्छा और कोई नहीं हो सकता है".
मैं उनसे (मायावती से) मिलने का इंतज़ार कर रही हूँ ताकि मैं अपने होमवर्क में उनकी कुछ ख़ास चीजों का भी समावेश कर सकूँ
कई विज्ञापन फ़िल्में बना चुके मासूम की यह पहली फ़िल्म है जिसे लेकर वे काफ़ी उत्साहित हैं और अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं कि मायावती ने उन्हें फ़िल्म बनाने की अनुमति दे दी है.
इस फ़िल्म की मुख्य किरदार प्रतिमा कन्नन के अनुसार, वे बहनजी के किरदार को परदे पर जीने के लिए लेकर बेहद उत्साहित हैं. उनके हाव-भाव, उनके बोलने का अंदाज़ और उनके तरीके को टेलीविज़न पर पूरे ग़ौर से देख रही हैं.
बीबीसी हिंदी से सभार
1 comment:
अच्छा लिखा है जनाब. कलाम की धर बड़ी पैनी होती है. शुभकामनायें.
---
उल्टा तीर
Post a Comment